अध्याय 2 ॥ परिचय ॥

2.1 ॥ विक्रम सिहँ रावत ॥

॥ विक्रम सिहँ रावत ॥



मेरा नाम विक्रम सिहँ रावत है। ये किताब आपको एक कालचक्र का घुमाव और बदलाव दिखलायेगी मेरे नज़रीये से। मैं जब नौं साल का था, मैं तब से कविताये लिख रहा हूँ। मैंने अब तक छोटी-बड़ी, अच्छी-बुरी कई कवितायें लिखीं। कई तो बहुत ही गंदी, कई बस ठीक-ठाक। पर फिर, शायद 12 अक्टूबर 2005 के करीब, मेरी वो किताब खो गई जिस में मैं कवितायें लिखा करता था। मैंने फिर यादाश्त टटोली और कुछा कवितायें फिर से लिखी। तो आज मैं भी नए ज़माने कि दौड़ में दौड़ते हुए अपनी कुछ अच्छी-बुरी कवितायें यहाँ पर लिख रहा हूँ। इनमें एक बच्चे के बड़े होते हुए बदलती सोच और व्यक्तित्व का प्रतिबिंब दिखेगा। कैसे कविताओं के विषय बदले कैसे लेखनी कविताओं से ग़ज़लों पर गई और एैसे ही कुछ घुमावदार बारिकियाँ। पढ़ने के मायने से मैने कुछा बचपन की कविताओं को छोटा किया, वरना शायद दिन छोटा पड़ जाता, पर बाद की कविताओं में नहीं। मैं शौकिया तौर पे कविताएँ लिखता हूँ तो कभी भी बिना वजह नहीं लिखता चाहे साल भर में सिर्फ एक या दो ही क्यों न लिखूँ। अक्सर ये कारण कविताओं से ज़्यादा मजेदार होते हैं। शायद कुछ बाँतें भूली-बिसरी, कुछ बाँते अनदेखी, फिर से याद आ जाँये। तो चलो जि़दग़ी को मेरे नज़रिये से देखें ।